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संगीत सात सुरों की साधना है - स (षड्ज) से लेकर नि (निषाद) तक. ये सात सुर एक पद्धति, एक गणित या फिर कहें तो एक नियमित तरीके से जुड़े हुए हैं. दो स्वरों के बीच में उतार चढ़ाव का जो फर्क है वो निर्धारित है. लेकिन सरगम का शुरुआती स्वर 'सा' कैसा हो या फिर किस प्रकार की आवाज़ को षड्ज माना जाये, ऐसा कोई बंधन नहीं है. इसका मतलब ये हुआ कि संगीत हमें ये स्वतंत्रता देता है कि हम किसी भी सुर को षड्ज की मान्यता देकर बाकि की सरगम उसी के हिसाब से निर्धारित कर सकते है. 

 

अगर ये समझने में थोड़ी दिक्कत आ रही है तो इसे एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिये मै हारमोनियम की काली एक key की जो आवाज़ या कहें जो सुर है वहां से  सरगम शुरू करता हूँ. इसका मतलब ये हुआ कि काली एक का सुर मेरे लिए षड्ज हो गया. अब आप चाहें तो हारमोनियम की काली चार key से सरगम शुरू करें तो फिर आपके लिए काली चार षड्ज हो गयी. इस प्रकार से, मेरे षड्ज और आपके षड्ज में चार सुरों का अंतर आ गया. आपका 'रे' मेरे लिए 'धा' होगा लेकिन हम दोनों के लिए हमारे अपने अपने षड्ज से बाकी स्वरों के स्थान निर्धारित हैं. (देखें: प्रथम चरण). अब सोंचने की बात ये है कि इस स्वतंत्रता का क्या औचित्य है, क्या उपयोग है. आईये इस औचित्य की बात करते हैं.  

 

हम सब अलग हैं, हम सब की गले की बनावट और उसकी प्राकृतिक क्षमता अलग अलग है. इसीलिए, संगीत में एक बड़ी अच्छी स्वतंत्रता ये दी गयी है कि आप अपनी गायन की क्षमता के हिसाब से अपना षड्ज चुन लें ताकि उसी हिसाब से आप सरगम के कम से कम तीन सप्तकों (octaves) में आपकी आवाज़ बिना तकलीफ़ के उतार चढ़ाव कर सके. 

 

एक साधारण गले में लगभग लगभग एक पूरे सप्तक में सुर निकाल पाने की क्षमता होती है. थोड़े अच्छे गले में, तार सप्तक के कम से कम ३-४ सुर और मन्द्र सप्तक के ३-४ सुर आराम से लगते हैं. कुछ असाधारण गले ऐसे भी हैं जो पूरे पूरे तीन या चार सप्तकों में अपनी आवाज़ ले जा सकते हैं. इसमे कुछ ईश्वर की देन है और बहुत कुछ उनका रियाज़। ख़ैर, अब हम ये समझते हैं कि आप अपना षड्ज (सा) कैसे निर्धारित करें। 

 

आम तौर पर, पुरुषों के लिए हारमोनियम का काली एक key का सुर षड्ज के लिए ठीक बैठता है और महिलाओँ के लिए काली चार का सुर. अगर आप इसके हिसाब से षड्ज मान कर पूरा एक सप्तक बड़े आराम से गए सकते हैं और इसके ऊंचे सप्तक में कम से ३-४ सुर लगा सकते हैं और इसी प्रकार नीचे सप्तक में ३-४ सुर लगा सकते हैं, तो आप काली एक (पुरुषों के लिए) या काली चार (महिलाओं के लिए) को षड्ज बनाकर अपना रियाज़ करें. आपको और षड्ज ढूंढने की ज़रुरत नहीं है.

 

मगर हो सकता है कि आपकी आवाज़ बहुत ऊंची/तीव्र या फिर बहुत भारी/मंद हो. अगर ऐसा होगा तो या तो आपको काली एक / काली चार के षड्ज के हिसाब से ऊंचे सप्तक के १-२ सुर गाने में ही बड़ी तकलीफ़ होगी और या फिर आप ऊंचे सप्तक में बड़े आराम से ५-६ सुर गा पा रहें हों मगर फिर नीचे के सप्तक में १-२ सुर में ही मुश्किल पड़ने लगेगी. अगर ऐसा हो तो आप अपना षड्ज निर्धारित करें. आप हारमोनियम की काली एक key से सुर मिलाकर आकार में ("आ" की आवाज़ में) सुर लगाना शुरू करें और एक एक कर के ऊपर के सुर लगाते जाएं.  जब आप उस key पर पहुंचे जहाँ और अगला ऊंचा सुर लगाने में आपकी आवाज़ फटने लगे, तकलीफ़ होने लगे, वहां रुक जाएं. अब उस key को आप ऊंचे सप्तक का "पा" मान ले. हारमोनियम की उस key को पंचम सुर मान कर नीचे आना शुरू करें - पा, मा,  गा, रे, सा. अब इस "सा" से और नीचे जाएँ और अगले "सा" तक पहुंचे - सा, नि, धा, पा, मा, गा, रे, सा. ये जो निचला "सा" मिला - यही आपका षड्ज है. 

 

ये जो षड्ज मिला है, अगर ये काली एक (पुरुषों के लिए) या काली चार (महिलाओं के लिए) से बस एक सुर ऊपर नीचे हो, तो कोशिश करें कि आप काली एक / काली चार को ही षड्ज मान कर चलें. 

 

उम्मीद है कि आपको आपका षड्ज आसानी से मिल जाएगा. 

षड्ज का निर्धारण

© 2017 BY SLG MUSICIAN (LALIT GERA JHAJJAR ) HARYANA

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